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दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने दिल्ली की मंत्री आतिशी की ओर से दिल्ली में पानी को लेकर हुई घटना पर उनको लिखे गए पत्र का मुद्दा उठाया है। उनका कहना है कि दिल्ली सरकार की नाकामियों के चलते दिल्ली में पेयजल की परेशानी हो रही है। वहीं मंत्री जिम्मेदारी लेने की बजाय असंवेदनशील तरीके से पत्र लिख रहे हैं। इसके साथ ही एलजी ने दिल्ली सरकार की कथित विफलताओं को आधिकारिक आंकड़ों के जरिए गिनाया है।
एलजी ने पत्र में कहा है कि वारदात के पीछे पानी की अपर्याप्त आपूर्ति को दोषी ठहराते हुए आतिशी ने अपनी ही सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उनका पत्र बीते लगभग 10 वर्षों के दौरान निष्क्रियता और अक्षमता का कबूलनामा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना दिल्ली में अपनी तरह का इकलौता केस नहीं है। राष्ट्रीय राजधानी में पानी की कमी को लेकर पहले भी कई घटनाएं दिल्ली सरकार की विफलता के कारण हुई हैं।
उपराज्यपाल ने पत्र में कहा है कि ऐसे मामले साल-दर-साल होने वाली घटना बन गए हैं। बीते दस वर्षों के दौरान ऐसे मामले मीडिया में व्यापक रूप से रिपोर्ट भी किए गए हैं। एलजी ने कुछ घटनाओं का हवाला भी दिया है। उन्होंने लिखा है कि मैं 2017 से हुई कुछ रिपोर्टों का स्नैपशॉट अटैच कर रहा हूं। दिल्ली में पानी की समस्या बीते एक दशक के दौरान काफी गंभीर हो गई है। खासकर उन बस्तियों में जहां गरीब लोग रहते हैं।
एलजी ने लिखा है कि दिल्ली विधानसभा के हालिया बजट सत्र में पेश किया गया आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 कुछ हैरान करने वाले तथ्य सामने ला रहा है। बीते एक दशक में जल उपचार क्षमता 906 एमजीडी से 946 एमजीडी हुई है। यह मात्र 4.4 फीसदी की बढ़ोतरी है जबकि इसी अवधि के दौरान दिल्ली की आबादी में 15 फीसदी की वृद्धि हुई है। नतीजतन जल आपूर्ति में कमी लगभग 290 एमजीडी देखी जा रही है।
पानी की बर्बादी (पानी की चोरी, बकाया भुगतान नहीं किए जाने, पानी के रिसाव) का प्रतिशत 2015 में 45 प्रतिशत था जो 2022-2023 में बढ़कर 58 फीसदी हो गया है। यानी 2015 में 906 एमजीडी उपचारित जल में से केवल 498 एमजीडी का ही इस्तेमाल हुआ। 2022-23 में 946 एमजीडी उपचारित जल में से केवल 397 एमजीडी का हिसाब रखा गया है। यही वजह है कि बीते दशक में आपकी सरकार की ओर से की जा रही आपराधिक उपेक्षा के कारण शुद्ध पानी की उपलब्धता में 100 एमजीडी से अधिक की कमी आई है।
एलजी ने कहा है कि शहर के लगभग 2.5 करोड़ लोगों में से 2 करोड़ से अधिक (यानी 80 फीसदी से अधिक) लोग विभिन्न स्तरों पर जलापूर्ति के लाभ से वंचित हैं। इनमें अनधिकृत कॉलोनियों, झुग्गी-झोपड़ियों के साथ कुछ हद तक संगठित विकसित कॉलोनियों के रहवासी भी शामिल हैं। यह सीधे तौर पर इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि बीते दस वर्षों के दौरान पानी की बर्बादी को रोकने के लिए कोई भी ठोस प्रयास नहीं किए गए। ऐसा लगता है कि हम रिसती बाल्टी में पानी भर कर हजारों करोड़ रुपये बर्बाद कर रहे हैं।