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भतीजे अजित पवार से झटके और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में फूट से शरद पवार आधे हो गए हैं। आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर महाविकास अघाड़ी के बीच सीटों के बंटवारे से यही मालूम पड़ता है। राज्य में लोकसभा की कुल 48 सीटों में से शरद पवार की एनसीपी 10 पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। उद्धव ठाकरे की शिवसेना (बाला साहेब ठाकरे) को 21 और कांग्रेस को 17 सीटें मिली हैं। इस तरह अघाड़ी के घटक दलों में सबसे कम सीटें शरद पवार के गुट को दी गई हैं। यह शरद पवार की एनसीपी के लिए एक तरह से झटका भी है। मालूम हो कि अजित पवार ने पिछले साल बगावत कर दी थी और कई विधायकों को तोड़ लिया। उन्होंने असली एनसीपी होने का अधिकार भी हासिल कर लिया।
MVA में खत्म हुई तकरार, सीटों का फॉर्मूला तैयार; देखें कौन कितने पर लड़ेगा
अगर 2019 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो शरद पवार की पार्टी ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था। मगर, आज उसे 10 पर ही संतोष करना पड़ रहा है। वैसे तो 2019 में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 41 पर बंपर जीत हासिल की थी। बीजेपी ने 23 और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना ने 18 सीटों पर विजय पताका फहराया था। उस वक्त, अविभाजित एनसीपी के खाते में 4 सीटें गई थीं जबकि कांग्रेस का केवल 1 प्रत्याशी ही जीत पाया था। शरद पवार की एनसीपी ने भले ही 19 में से 4 सीटों पर जीत दर्ज की हो, मगर बड़े पैमाने पर अपना दमखम तो जरूर दिखाया था। अब पार्टी में फूट के बाद शरद गुट की NCP 10 सीटों पर ही ताल ठोंक पाएगी।
शरद पवार के राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई
लोकसभा चुनाव 2024 को शरद पवार के राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई भी समझा जा रहा है। उन्होंने एनसीपी का मूल नाम और चुनाव चिह्न भी गंवा दिया है। निर्वाचन आयोग और महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष ने अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को असली एनसीपी के रूप में मान्यता दी। शरद पवार के लिए अहम सीट उनके गृह क्षेत्र बारामती की है, जहां उनकी बेटी और तीन बार की सांसद सुप्रिया सुले को अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार से चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अगर शरद पवार बारामती हार गए तो उनका सब कुछ खत्म हो सकता है। यह उनके और उनके भतीजे अजित के बीच की लड़ाई है।
कभी चुनाव नहीं हारे 83 साल के शरद पवार
शरद पवार अपने 5 दशक से अधिक के राजनीतिक करियर में कभी चुनाव नहीं हारे। वह 83 साल के हो चुके हैं। इसके बावजूद, शरद पुणे जिले में अपने पुराने प्रतिद्वंद्वियों से संपर्क कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उनकी बेटी की राह आसान हो। उन्होंने अपने भतीजे और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के भाजपा से हाथ मिलाने के फैसले के बारे में शरद पवार ने कई बार बयान दिया। बीते दिनों इसे लेकर उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने अतिवादी कदम उठाया। शरद पवार ने कहा, ‘आज भाजपा ग्रामीण इलाकों में आम लोगों और किसानों की चिंता करने वाली पार्टी नहीं है। पार्टी मुट्ठी भर लोगों की है, इसलिए आम मतदाताओं ने भाजपा के साथ जाने के लिए (अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को) वोट नहीं दिया था।’