Ghatasthapana Muhurat Kalash Sthapana Time : नवसंवत्सर 2081 के साथ ही चैत्र नवरात्र मंगलवार से प्रारंभ हो रहे हैं। कई शुभ योग के साथ मां भवानी अश्व पर सवार होकर आएंगी। नव वर्ष के राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे। नवसंवत्सर साहस और पराक्रम के नाम रहेगा। तकनीकी शिक्षा और धन-धान्य के लिए शुभ रहेगा। तीस साल बाद कई शुभ और मंगलकारी योग मिल रहे हैं। नवरात्र पूरे हैं। किसी तिथि का क्षय नहीं है। ज्योतिषचार्य विभोर इंदूसुत के अनुसार, इस बार चैत्र नवरात्र 9 अप्रैल मंगलवार से शुरू होंगे और 17 अप्रैल (राम-नवमी) तक नवरात्र उपस्थित रहेंगे और 18 अप्रैल दशमी को नवरात्र का विसर्जन होगा। चैत्र नवरात्रि पर 30 साल बाद अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शश योग और अश्विन नक्षत्र का अमृत योग बन रहा है।
कलश स्थापना की विशेष बातें
● कलश ईशान कोण या पूरब-उत्तर दिशा में स्थापित करें
● कलश पर स्वास्तिक बनाएं। मौली बांधे।
● कलश पर अष्टभुजी देवी स्वरूप 8 आम के पत्ते लगाएं
● रोली, चावल, सुपारी, लौंग, सिक्का अर्पित कर कलश स्थापित करें
प्रथम मुहूर्त – सूर्योदय से प्रात 6.27 तक
द्वितीय मुहूर्त – प्रात 07.39 से 9.14 बजे तक ( शुभ चौघड़िया)
तृतीय मुहूर्त – प्रात 08.05 से 10.01 बजे तक ( वृषभ स्थिर लग्न)
चतुर्थ मुहूर्त – प्रात 10.02 से दोपहर 12.16 बजे तक ( मिथुन लग्न)
अभिजीत मुहूर्त (सर्वश्रेष्ठ) पूर्वाह्न 11.58 से 12.48 बजे तक
(कलश स्थापना के लिए यह अंतिम मुहूर्त होगा। इस अवधि तक अवश्य कलश स्थापित कर लें)
कलश स्थापना मंत्र
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नम (इस संवत्सर के राजा मंगल और मंत्री शनि हैं, इसलिए काली जी के जाप करें और इसी मंत्र से कलश स्थापित करना शुभ मंगलकारी है।) या ऊं दुं दुर्गायै नम या ऊं श्रीं श्रीं ह्रीं ऊं
अखण्ड ज्योति के नियम
● घी और तेल दोनों की अखण्ड ज्योति जला सकते हैं
● घी का दीपक दाहिनी तरफ और तेल का दीपक बाएं तरफ होगा
● दीपक में एक लौंग का जोड़ा अवश्य अर्पित करें
● अखण्ड ज्योति कपूर और लौंग से आरती करते हुए जलाएं
नव संवत्सर – 2081
संवत आरंभ – 09 अप्रैल 2024
संवत का नाम – कालयुक्त
संवत के राजा – मंगल
संवत के मंत्री – शनि
संवत वास – वैश्य
संवत वाहन – वृषभ (बैल)
कई शुभ संयोग मिलेंगे– चैत्र नवरात्रि पर इस बार मां दुर्गा अश्व पर सवार होकर आएंगी। नौ अप्रैल से 17 अप्रैल तक नवरात्र चलेंगे। ज्योतिषाचार्य रुचि कपूर के अनुसार, इस बार पांच दिव्य राज योग हैं। गजकेसरी, लक्ष्मी नारायण योग, शशराज योग, बुध आदित्य योग, मालव्य राजयोग बन रहा है।
चैत्र नवरात्र की तिथियां
प्रतिपदा 9 अप्रैल मां शैलपुत्री
द्वितीय 10 अप्रैल मां ब्रह्मचारिणी
तृतीया 11 अप्रैल मां चन्द्रघण्टा
चतुर्थी 12 अप्रैल मां कुष्मांडा
पंचमी 13 अप्रैल मां स्कंदमाता
षष्टी 14 अप्रैल मां कात्यायनी
सप्तमी 15 अप्रैल मां कालरात्रि
अष्टमी 16 अप्रैल मां महागौरी
नवमी 17 अप्रैल मां सिद्धिदात्री, श्रीराम नवमी