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बॉलीवुड एक्ट्रेस और बीजेपी कैंडिडेट कंगना रनौत ‘नेताजी भारत के पहले प्रधानमंत्री’ वाली टिप्पणी को लेकर घिरती नजर आ रही हैं। अब नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार ने इसे लेकर उनकी आलोचना की है। एक्स पर एक पोस्ट में न्यूज आर्टिकल शेयर करते हुए सुभाष चंद्र बोस के पोते चंद्र कुमार बोस ने अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए इतिहास को खराब नहीं करना चाहिए। नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक पॉलिटिकल थिंकर, सोल्जर, स्टेट्समैन और अविभाजित भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे।’ चंद्र कुमार बोस ने कहा कि वह एकमात्र ऐसे नेता रहे, जो भारत की आजादी के लिए लड़ने को लेकर सभी समुदायों को भारतीय के रूप में एकजुट कर सके। नेताजी के प्रति वास्तविक सम्मान उनकी समावेशी विचारधारा का पालन करना होगा।
मालूम हो कि चंद्र कुमार बोस ने पिछले साल सितंबर में भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यह आरोप लगाया कि उनके सिद्धांत पार्टी के साथ मेल नहीं खा रहे हैं। उनका यह इस्तीफा इंडिया बनाम भारत विवाद के बीच आया था। दरअसल, हाल ही में कंगना रनौत ने सुभाष चंद्र बोस को देश का पहला प्रधानमंत्री बताया था। उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर उन्हें जमकर ट्रोल किया गया। कई राजनीतिक दलों के नेताओं ने भी उनका मजाक उड़ाया। हालांकि, कंगना ने चुप रहने के बजाय इन लोगों पर पलटवार भी किया। उन्होंने सुभाष चंद्र बोस को देश का पहला पीएम बताने के पीछे की वजह भी बताई। कंगना ने एक्स पर एक खबर का स्क्रीन शॉर्ट शेयर किया जिसमें बताया गया है कि 21 अक्टूबर, 1943 को नेताजी ने सिंगापुर में आजाद हिंद (स्वतंत्र भारत) की सरकार बनाई। साथ ही द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने खुद को प्रधानमंत्री और युद्ध मंत्री घोषित किया था।
किसी ने उड़ाया मजाक तो कोई आया साथ
कंगना रनौत के बयान वाले वायरल क्लिप को सोशल मीडिया पर कई लोगों ने शेयर किया। इस लिस्ट कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत का नाम भी शामिल है। उन्होंने भी वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘सुभाष चंद्र बोस आजाद हिंदुस्तान के पहले प्रधानमंत्री थे। इन्हें हल्के में ना लें। बीजेपी शिरोमणियों की लिस्ट में ये आगे जाएंगी।’ वहीं, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कंगना रनौत की इस टिप्पणी का बचाव किया था। सरमा ने कहा कि नेताजी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री बनने से 4 साल पहले आजाद हिंद सरकार बनाई थी जिसे 9 देशों ने मान्यता दी थी। मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘जो लोग कंगना का मजाक उड़ा रहे हैं- सत्ता हस्तांतरण के बाद प्रधानमंत्री के रूप में पंडित नेहरू के शपथ लेने के करीब 4 साल पहले 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी ने आजाद हिंद सरकार बनाई थी, जिसके वह प्रमुख थे। 9 देशों ने आजाद हिंद सरकार को भारत की वैध सरकार के तौर पर मान्यता दी थी। उपनिवेशवादियों की तर्ज पर इतिहास की व्याख्या करने की इस अवचेतन इच्छा को ‘गुलामी की मानसिकता’ कहा जाता है।’