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Jizya Tax History: भारत में जितने भी मुगल बादशाह हुए, उन्हें अपने फैसलों, विवादित करों और हरम के लिए जाना जाता है। दो अप्रैल के इतिहास पर नजर डालें तो आज ही के दिन क्रूर मुगल बादशाह औरंगजेब ने विवादित जजिया कर लागू किया था। हालांकि 100 साल पहले उसका परदादा अकबर इस कर को देशभर से हटा चुका था लेकिन, औरंगजेब ने नए नियमों के साथ इस कर की फिर से शुरुआत की थी। यह एक ऐसा कर था, जो सिर्फ हिन्दुओं पर लगाया जाता था। इस कर को गैर मुसलमानों के अपमान के तौर पर देखा जाता था। इस कर से मिली रकम का इस्तेमाल मुसलमानों की सुरक्षा, पेंशन और अन्य राजकीय कार्यों जैसे सैन्य उपकरणों की खरीद में इस्तेमाल किया जाता था।
जजिया कर का भारत में इतिहास
भारत में जजिया कर लाने वाला मुहम्मद बिन कासिम था। मुहम्मद बिन कासिम ने सबसे पहले भारत के सिंध प्रांत के देवल में जजिया कर लागू किया था। इसके बाद दिल्ली में इस कर को लागू करने वाला सुल्तान फिरोज तुगलक था। इस कर को गैर मुसलमानों पर लागू किया जाता था लेकिन, पहले जहां ब्राह्मण इस कर के दायरे से बाहर होते थे। फिरोज तुगलक ने फरमान लागू किया कि इस कर को ब्राह्मणों से भी वसूला जाएगा। जिसके बाद इसका देशभर में काफी विरोध हुआ।
जजिया कर के खिलाफ भूख हड़ताल
फिरोज तुगलक के आदेश के खिलाफ दिल्ली के ब्राह्मणों ने जजिया कर का विरोध भी किया। भूख हड़ताल की। अंत में दिल्ली के आम लोगों ने ब्राह्मणों का जजिया कर खुद देने का फैसला लिया। इसके बाद बाद लोदी वंश ने भी इस कर को जारी रखा। सिकंदर लोदी के काल में भी जजिया कर वसूला जाता था।
अकबर ने लगाई रोक
जजिया कर उस वक्त के दौर में सबसे विवादित कर था। जिसके लिए माना जाता था कि यह गैर मुसलमानो के अपमान के लिए लागू किया गया है। मुस्लिम शासन के दौरान इस कर को वसूलने के लिए एक स्पेशल टीम हुआ करती थी, जिसे जिम्मी कहा जाता था। वे जबरन कर वसूलते थे। तमाम विरोध झेलने के बाद मुगलों की तीसरी पीढ़ी के शासक अकबर ने 1579 में इस कर को समाप्त कर जनता को राहत दी।
हालांकि अकबर के परपोते औरंगजेब ने 2 अप्रैल 1679 को इस कर को फिर लागू किया। हिन्दू शासकों ने तब इस फैसले के लिए औरंगजेब की आलोचना भी की। हालांकि औरंगजेब ने इसे जारी रखा। हालांकि जनता को राहत देने के लिए कुछ नए नियम जारी किए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह कर आपदा, भुखमरी या अन्य संकट के दिनों में वसूला नहीं जाएगा। इसके अलावा, ब्राह्मणों, महिलाओं, बच्चों, विकलांगों और बेरोजगारों को इस कर के दायरे से बाहर रखा गया। नए नियमों के बावजूद जजिया कर सिर्फ हिन्दुओं से ही वसूला जाता था।
औरंगजेब द्वारा फिर लाए गए जजिया कर को 33 साल बाद 1712 में जहांदारशाह ने अपने मंत्री जुल्फिकार खां व असद खां के कहने पर समाप्त किया।