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बीते करीब दो सालों से अखिलेश यादव लगातार PDA की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि भाजपा की लीडरशिप वाले NDA का मुकाबला PDA ही कर सकता है। उनके PDA का अर्थ पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक से रहा है। इस तरह वह ओबीसी की तमाम जातियों के अलावा दलितों और मुसलमानों को जोड़ने की बात करते रहे हैं। लेकिन उनकी इस टर्म को लेकर सेकुलर खेमे में ही कुछ लोग आलोचना करते रहे हैं। उन्हें निशाने पर लेने वाले कहते रहे हैं कि आखिर अखिलेश यादव ने PDA की बजाय PDM क्यों नहीं बनाया, जिसमें सीधे तौर पर मुसलमानों का जिक्र होता।
हम मुख्तार अंसारी के चाहने वालों के साथ खड़े हैं, गाजीपुर में बोले असदुद्दीन ओवैसी
यह कहते हुए अखिलेश यादव पर निशाना साधा जाता है कि वह मुस्लिमों के मसले पहले की तरह नहीं उठा रहे हैं। इसका अलावा मुसलमान शब्द से भी दूरी बना रहे हैं। यही नहीं आजम खान के जेल जाने पर भी जिस तरह से सपा का रिएक्शन था, उसे लेकर भी कई लोगों ने आपत्ति जताई। यहां तक की पार्टी की रामपुर यूनिट में भी कई नेताओं ने यह सवाल उठाया। ऐसे में अब उनसे ही अलग होने वाली पल्लवी पटेल ने अब नया गठबंधन बना लिया है। उनकी पार्टी अपना दल कमेरावादी ने असदुद्दीन ओवैसी से हाथ मिला लिया है। दोनों ने रविवार को एक आयोजन किया और उसमें अपने गठबंधन का ऐलान करते हुए PDM का नारा दिया।
PDA में खुलकर मुसलमान का जिक्र न होने पर सवाल
दोनों के PDM में साफ तौर पर लिखा गया- पिछड़ा, दलित और मुसलमान। इस तरह असदुद्दीन ओवैसी और पल्लवी पटेल का गठबंधन अखिलेश यादव की उम्मीदों को ही झटका दे सकता है। असदुद्दीन ओवैसी का यूं भी मुरादाबाद, संभल, मऊ, आजमगढ़ जैसे जिलों में अच्छा प्रभाव रहा है। इसके अलावा पल्लवी पटेल के साथ आने से कुछ पिछड़ा भी यदि टूटा तो सीधे तौर पर अखिलेश यादव का ही नुकसान होगा। यही नहीं मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर भी जिस तरह असदुद्दीन ओवैसी तुरंत उनके घर गए। बेटे के साथ बैठकर खाना खाया और सांत्वाना दी, वह भी मुस्लिमों को ही संदेश देने की एक कोशिश थी।
मुख्तार के घर जाकर भी ओवैसी ने दे दिया संकेत
वहीं अखिलेश यादव, रामगोपाल और शिवपाल यादव जैसे सपा नेताओं ने मुख्तार अंसारी पर ट्वीट किए या फिर बयान ही दिए। कोई सपा नेता उनके घर नहीं गया। असदुद्दीन ओवैसी ने ऐसी स्थिति में मुख्तार के घर जाकर मुसलमानों की मुख्तारी पर दावा ठोक दिया है। बता दें कि मायावती पहले ही कई सीटों पर मुस्लिम कैंडिडेट उतार चुकी हैं। इससे भी मुस्लिम वोटों के बंटने का खतरा पैदा हो चुका है।