नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि “प्रवर्तन निदेशालय ‘ईडी’ स्वतंत्र रूप से काम करता है और केंद्र सरकार उसके काम में हस्तक्षेप नहीं करती है.” उन्होंने यह भी बताया कि एजेंसी ने 2014 के बाद हजारों करोड़ रुपए का काला धन जब्त किया है. हमने लोगों को 17,000 करोड़ रुपए लौटाए. लोग ईडी की प्रशंसा करते हैं.’
एक तमिल समाचार चैनल को साक्षात्कार के दौरान, जिसे भाजपा ने एक्स पर पोस्ट किया है, में प्रधानमंत्री मोदी ने ईडी के बारे में बोलते हुए कहा, “क्या हमारी सरकार ने ईडी की स्थापना की? क्या हमने पीएमएलए की शुरुआत की? हमारी सरकार बनने से पहले वे वहां थे. ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी है और यह स्वतंत्र रूप से काम कर रही है. न तो हम उन्हें रोकते हैं, न ही हम उन्हें भेजते हैं. हम (केंद्र सरकार) इसके काम में हस्तक्षेप नहीं करते हैं. ईडी तब तक मामला दर्ज नहीं कर सकती जब तक अन्य एजेंसियां पहले एफआईआर दर्ज नहीं करतीं.
ईडी द्वारा संभाले गए मामलों पर, प्रधानमंत्री ने खुलासा किया, “ईडी के पास लगभग 7,000 मामले हैं और उनमें से केवल 3% राजनेताओं से संबंधित हैं.”
यूपीए और एनडीए शासन के दौरान काले धन की जब्ती के बीच तुलना करते हुए, पीएम ने कहा कि कांग्रेस के 10 वर्षों के शासन में, ईडी ने केवल 35 लाख रुपए जब्त किए. मोदी ने कहा “अब, ईडी ने 2,200 करोड़ रुपये का काला धन जब्त किया है. नकदी के बंडल जब्त किए जा रहे हैं. घरों में वॉशिंग मशीन और पाइप में नोट मिल रहे हैं. कांग्रेस सांसद के पास से 300 करोड़ रुपये नकद जब्त किये गये. पश्चिम बंगाल में कई मंत्रियों के पास से नकदी जब्त की गई है. क्या जनता ये सब बर्दाश्त करेगी? मुझे लगता है कि वे नहीं करेंगे.”
बता दें कि प्रधानमंत्री की टिप्पणी उस दिन आई जब विपक्षी दल सीएम अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में एकत्र हुए, दोनों को ईडी ने अलग-अलग मामलों में गिरफ्तार किया था. मोदी ने आगे कहा कि भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए रैलियां आयोजित की जा रही हैं.
ईडी द्वारा भाजपा नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के विपक्ष के आरोप के बारे में पूछे जाने पर, प्रधानमंत्री ने कहा, “जिस भी राजनेता का मामला है वह चलेगा (मामले जारी रहेंगे चाहे कोई भी राजनेता हो).”
यह स्पष्ट करते हुए कि चुनावी बांड ने वास्तव में फंडिंग के स्रोत का पता लगाने में मदद की, मोदी ने कहा, “जो लोग चुनावी बांड के खिलाफ विरोध कर रहे हैं उन्हें जल्द ही पछतावा होगा. 2014 से पहले चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले फंड का कोई पता नहीं चलता था. चुनावी बांड की बदौलत अब हम फंडिंग के स्रोत का पता लगा सकते हैं. कुछ भी पूर्ण नहीं है, खामियों को दूर किया जा सकता है.”
साक्षात्कार के दौरान, मोदी ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल में गरीब व्यक्तियों को ईडी द्वारा जब्त की गई नकदी वापस करने की संभावना के बारे में कानूनी सलाह ले रहे हैं, जिन्होंने नौकरी के बदले धन प्रदान किया था. उन्होंने यह भी कहा कि बंगाल में लगभग 3,000 करोड़ रुपये जब्त किए गए हैं और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या यह पैसा उन लोगों तक पहुंचाया जा सकता है जिन्होंने इसे मूल रूप से दिया था.”
विदित हो कि विगत दिनों प्रधानमंत्री की इसी टिप्पणी पर जो राजमाता अमृता रॉय के साथ उनके द्वारा एक फोन कॉल को सार्वजनिक करने के आह्वान के बाद आई थी पर तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि लोगों को पैसा लौटाने का प्रस्ताव आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है. तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रॉय ने कहा था कि आदर्श आचार संहिता लागू होने पर प्रधानमंत्री किसी भी नीतिगत फैसले की घोषणा नहीं कर सकते. तृणमूल नेता ने यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री उन मामलों पर टिप्पणी कर रहे हैं जो न्यायाधीन हैं.
ज्ञात हो कि एक पखवाड़े पूर्व भी प्रधानमंत्री मोदी ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए भ्रष्टाचार के प्रति अपनी सरकार की शून्य-सहिष्णुता नीति की जोरदार पुष्टि करते हुए, ईडी के कड़े कदमों की प्रशंसा की थी और कहा था कि प्रत्येक एजेंसी भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए “पूरी तरह से स्वतंत्र” है.
आंकड़ों का हवाला देते हुए, प्रधान मंत्री ने 2014 से पहले और बाद में ईडी के प्रदर्शन में भारी अंतर पर प्रकाश डालते खुलासा किया था.
“2014 तक, पीएमएलए के तहत केवल 1,800 मामले दर्ज किए गए थे। पिछले 10 वर्षों में, 4,700 मामले दर्ज किए गए हैं.”
उन्होंने बताया कि इस तरह के “अनुकरणीय कार्य” से कुछ व्यक्तियों और संस्थाओं के लिए समस्याएं पैदा होना तय है.